Saturday 17 December 2022

Random#21

दिसंबर की रात जैसे-जैसे गहरी होती जाती है 
शहर होता जाता है मौन, धुँध बढ़ती जाती है 

मैं होता जाता हूँ गुम सोचते हुए कल के बारे में 
अतीत की एक आवाज़ दीवारों से टकराती है

इस अँधेरे में भी सब कुछ दिखता है साफ-साफ 
आँखों के सामने एक तस्वीर उभरती जाती है 

यूँ तो सब बताते हैं क्या हैं खामियाँ और क्या ऐब  
यह ज़िन्दगी ही है जो सच में आइना दिखाती है 

भले हो बंद कमरे, बंद खिड़कियां, बंद सबकुछ 
एक सड़क अब भी है जो सहर तक जाती है 

Sunday 28 August 2022

Random#20

 जब भी हम बैठे तन्हां बस तेरी याद आयी 

नींद से यूँ चौंक उठ बैठे...तेरी याद आयी 


किसी ने आवाज़ दी तो... तेरी याद आयी 

कोई हमें देख मुस्कराया...तेरी याद आयी


कंधे पे रख दिया हाथ तो तेरी याद आयी 

आईने में खुद को देखा तो तेरी याद आयी 


नाम सुना तेरे शहर का तो तेरी याद आयी 

खिड़की से किसी ने झाँका तेरी याद आयी 


सहर से शाम का वक्त हमने यूँ बिताया 

तू याद आयी... और बहुत ही याद आयी 


Saturday 27 August 2022

Random#19

 इन आंसूओं को अंगार बनाना होगा 

मुझे इस तरह सब कुछ भुलाना होगा 


सब पूछेंगे इस नए चेहरे का राज मुझसे 

लेकिन मुझे वो पुराना शख्स गँवाना होगा 


सीने में चल रही इस कश्मकश को 

अब मुझे छोड़ दूर कही जाना होगा 


इस नए दौर में मैं नया बनाऊंगा खूद को 

रोने गिड़गिड़ाने का कोई और जमाना होगा


दिन-ब-दिन रंग बदलती हुई इस दुनिया को 

मुझे भी कभी तो अपना रंग दिखाना होगा 


लोग ढूंढेंगे कहाँ गया वो उदास सा शख्स 

मैं बोलूंगा मर गया होगा आशिक़ दीवाना होगा 


दरख्तों पर लटक रही इन तमाम यादों को 

परत दर परत जल धुआं बन जाना होगा 


इन लोगों से दूर कहीं वीरान से जंगल में 

इस नए परिंदे का एक छोटा सा ठिकाना होगा 


जब मैं कहूंगा तब उन्हें आना होगा 

जब मैं कहूंगा तब उन्हें जाना होगा 


इस बदले हुए शख्स का राज़ बताना होगा 

मैं कौन हूँ दुनिया को दिखाना होगा 


हर लहू के कतरे को बीज बन जाना होगा 

जो कुछ भी हो नया जन्म ले आना होगा 


चलना होगा गिरना होगा उठ दौड़ जाना होगा 

ख़ुद से ही लड़ना होगा ख़ुद को ही हराना होगा 

Friday 26 August 2022

Random#18

 ख़ुद को गुनाहगार ठहरा ख़ुद को तस्सली दे रहा हूँ

 हर किसी के हिस्से का जुर्म मैं अपने सर ले रहा हूँ 


ये किस तरह का ताल्लुक था किसी का मेरे साथ

उसने दूर जाने को कहा और मैं और पास हो रहा हूँ 


मैं जानता था सब कुछ सौंप देने का अंज़ाम लेकिन 

ये क्या है कि मैं हर हर्फ़ से एक ग़ज़ल पिरो रहा हूँ 


यूँ नहीं है कि उसके जाने से टूट गया मैं

अब किसी का नहीं हो पाउँगा मैं इसलिए रो रहा हूँ


 

मैं हूँ तन्हाई है और यादों का ये बोझ

क्या बचा है मेरे पास किसके लिए संजो रहा हूँ 

Random#17

 कितना मुश्किल होता है खुद को माफ़ कर देना 

किसी को यूँ अपनी ज़िन्दगी से आज़ाद कर देना 


सब कुछ भूलकर भी सब कुछ याद करते रहना 

और यूँ अपनी पूरी ज़िन्दगी को नाशाद कर देना 


मुस्कराकर मिलना सबसे.......बातें करते रहना 

अपने बीते हुए कल को इस तरह मिस्मार कर देना 


अपनी सारी कोशिशों को टूटकर बिखरते हुए देखना 

कोई पूछे जब ग़म का सबब तो दरकिनार कर देना 


इस आज़ार से बाहर निकलना यूँ तो नहीं मुमकिन 

अगर मुमकिन हो तो यूँ करना मुझे बर्बाद कर देना 


Thursday 4 August 2022

Random#16

एक लड़की है जिसके रूठ जाने से जीवन खाली सा लगता है 

सब लगता है बिखरा हुआ, वक़्त भारी सा लगता है 


याद आता है उसका चेहरा, उसकी आँखें , उसकी बातें 

कटता नहीं दिन काटने से, गुजरती ही नहीं रातें 


सोचता हूँ उसके गुस्से को कैसे शान्त कर पाउँगा 

सोचता हूँ कुछ भी करके आज उसे मनाऊँगा


वह जो बोलेगी हर बात उसकी मान लूँगा मैं 

हद से गुजर जाना है यह भी ठान लूँगा मैं 


जो भी हो वह मेरी है मुझे इतना नहीं सताएगी 

जब सामने आ जाऊँगा मैं वह गले आ लग जाएगी 


थोड़ा रोएगी, मारेगी मुझे फिर गले आ लग जाएगी 

कितना प्यार करती है मुझे, फिर मुझे बताएगी 


उसको अपनी बाँहों में भर माथें को चुम लूँगा मैं 

उसकी बाँहों में बँधकर आकाश झूम लूँगा मैं  

Thursday 28 July 2022

Random#15

 ये फ़ासला जो हमारे दरम्यां रह गया है

छलक आये हैं आंसू पैमाना भर गया है

सिर्फ वक़्त है जो मुसल्सल चल रहा है 

मैं ठहर गया हूँ और तू भी ठहर गया है 

एक परिंदा ऊँचा उड़ने की ख़्वाहिश में 

अपना घर छोड़ किसी दूसरे शहर गया है  

सब कहते थे जिस शख़्स को पत्थर का 

वह पत्थर आज टूट के बिखर गया है

कभी चलता था जज्बातों का सिलसिला

अब लब खामोश हैं, अल्फ़ाज़ मर गया है  

Saturday 9 April 2022

Random#14

 मंजिल कहाँ है, सफर क्या है?

उदास क्यों हो, हुआ क्या है?


सभी हैं बंद कमरों में यहाँ 

मैं पूछता हूँ माजरा क्या है?


सब पाकर भी ढूंढता है कुछ 

ऐसे में फिर मिला क्या है?


होता है ऐसे ही दुनिया में 

फिर किसी से भी गिला क्या है?


तुम्हे गुमाँ है अपनी वफ़ादारी का 

इन सारी वफाओं का सिला क्या है?

Random#13

 जब कभी हम तेरे शहर आए

अश्क़ आँखों में उतर आए 


लौट के यूँ तेरी याद आयी 

जैसे शाम के बाद सहर आए 


तेरी खुशबू ने यूँ छुआ मुझको

फूल हवाओं में बिखर आए 


ये गलियाँ यूँ बुलाती हैं मुझे 

जैसे लौट के कोई घर आए 


निगाहें फिरती रहती हैं दर-बदर 

तू कहीं दूर से नजर आए 


कौन?

 ये किसकी ताबीर पड़ गयी मुझपे, किसका तराना गुनगुनाता हूँ  

ये कौन है मेरे ख्यालों में, किसकी इबादत के गीत गाता हूँ 


किसको आवाज़ दे रहा हूँ मैं, कौन है जिसे बुलाता हूँ 

कौन रहता है साथ मेरे, किसकी यादों में खोया जाता हूँ 


ये किस तरह का रिश्ता है, किस ओर खींचा जाता हूँ 

बैठा हूँ अकेला जब कभी, किसको साथ अपने पाता हूँ 


सर झुकाया है जब कभी सजदे में, किसे खुदा से माँग लाता हूँ

किसके ख़्वाब के हिस्से अपने ख़्वाब में सजाता हूँ 


किसके तबस्सुम मे खोकर सारे दर्द भूल जाता हूँ 

किसकी आँखों की गहराई मे डूबा-डूबा जाता हूँ  


किसके आने की आहट से रातों को चौंक जाता हूँ 

सपना नहीं हकीकत है, ये कहानी जो मैं सुनाता हूँ 

Random#29

 स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई  हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई  मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे  कि होता नहीं अब किसी से...