मंजिल कहाँ है, सफर क्या है?
उदास क्यों हो, हुआ क्या है?
सभी हैं बंद कमरों में यहाँ
मैं पूछता हूँ माजरा क्या है?
सब पाकर भी ढूंढता है कुछ
ऐसे में फिर मिला क्या है?
होता है ऐसे ही दुनिया में
फिर किसी से भी गिला क्या है?
तुम्हे गुमाँ है अपनी वफ़ादारी का
इन सारी वफाओं का सिला क्या है?
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