Monday 16 March 2015

रिश्ता


होठ सुर्ख थे जेठ की दोपहर की दीवार की तरह
अश्कों से बारिश भी जिसे भींगा नहीं पाया
चीख निकली थी पर गले तक अटकी 
इन फैले हाथों को थामने कोई हाथ नहीं अाया
मैं खड़ा रहा देर तक इंतजार में किसी के 
सब आये पर कोई पास नहीं आया 
कभी अच्छी लगते थे जीवन के हर एक पल
और आज पूरा दिन रास नहीं आया
मुझे कोई भी शोर जगा नहीं पाया
इतना गहरा डूबा की कोई बचा नहीं पाया 
हालाँकि उजाला हुआ था थोड़ी देर के लिए
पर ऐसा भी नहीं की रास्ता दिखा पाया
आज रिश्तों के सब मायने बदल गए,मेरे लिए 
जिसके आने की उम्मीद न थी,वो आया 
देखा था मैंने उसे शायद पहली बार,अनजान था वो
पर क्या उसने सच्चे रिश्ते का फर्ज नहीं निभाया?

Friday 6 March 2015

परिवर्तन


ये इतफ़ाक था कि होता हुआ हादसा टल गया
वरना सूरज पागल न था ,जो शाम से पहले ढल गया
उसने कसम खाई थी इंतजार की रात तक
रात जल्दी हुई और उसका दिल बदल गया 

उसने सोचा था कि शायद यह आखिरी दिन है 
उसने आग लगाई और पिछला पूरा किस्सा जल गया 
हालाँकि ये देखकर कदम लड़खड़ाये थे उसके
हाँ ये इतेफाक ही था कि वो फिर खुद ही संभल गया 

फिर कुछ न याद रहा उसे फ़साना अतीत का
एक जूनून बस आगे बढ़ने का,जीत का
जिसकी उम्मीद न थी किसी को वो कुछ ऐसा कर गया
ये इतफ़ाक था कि होता हुआ हादसा टल गया

Tuesday 3 March 2015

गुजारिश

गर है ख़ुदा तो फिर दिखाई क्यों नहीं देता ?
वो आवाज़ देता है मुझे सुनाई क्यों नहीं देता?
हलक तक साँस अटकी है,मुझे मौत आती है
गर वो दुश्मन है मेरा बधाई क्यों नहीं देता?
गला रुँधा है उसका भी,आँखे नम हैं उसकी भी
इन अंतिम लम्हों में वो विदाई क्यों नहीं देता
शायद कुछ गीले थे दरम्यां,कुछ बातें करनी थी
गर अहम नहीं हैं मुझमे,उसे बुला ही क्यों नहीं लेता ?
छोटी बात थी कितनी ,मुझे महसूस होता है
मेरी इन भावनाओं को बता ही क्यों नहीं देता?
शायद वो पास है मेरे,फासला क्यों है इतना फिर
दोनो की चाहतों को एक बना ही क्यों नहीं देता?
गुजरे हुए हर एक लम्हें याद आते हैं
मेरी परछाई की तरह ही मेरे साथ जाते हैं
कि मैं आँखें मूँद लेता हूँ,और सफर को जाता हूँ
तू दोस्त हैं मेरा दिखाई क्यों नहीं देता ?
माफ़ कर देना मुझे,वो जज्बात थे मेरे
हर पल मुझे उस बात का अफ़सोस रहता था
इतना भी न कर सका मैं कि कह सकूँ तुमसे
गर कर दिया हैं माफ़,जता ही क्यों नहीं देता?
इन अंतिम लम्हों में तुम्हे दो शब्द लिखता हूँ
तुम पढोगे मेरे लब्जों को मुझे पता नहीं
गर पढोगे लेकिन तो फिर गुजारिश है मेरी
उन बीती बातों को तू भुला ही क्यों नहीं देता?

Random#29

 स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई  हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई  मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे  कि होता नहीं अब किसी से...