Saturday 27 June 2020

Random#2





हर शाम यह ख़ामोशी मुझसे कुछ इस कदर लिपट जाती है
धड़कने गर चलती भी रहे तो सांसे अटक जाती हैं 

मैं सोचता हूँ मेरी रूह मुझसे बिछड़कर किधर जाती है
शायद मेरी खामोशियों से तंग ख़ुदकुशी कर मर जाती है

ऐसा क्यों नहीं होता कि वो आकर मुझमें सिमट जाती है 
आती भी है शायद, पर आदतन रास्ता  भटक जाती है

हर रोज जिंदगी कुछ नया कुछ अजीब लिए आती  है
छीनकर मेरी सारी खुशियां किसी और को दिए जाती है

मश्वरा है उसका मेरे साथ जो वो निभाती चली जाती है
दर्द हो, शिकन हो, आहें बेशुमार आती है और बार-बार आती है 

Random#29

 स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई  हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई  मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे  कि होता नहीं अब किसी से...