Sunday 17 December 2023

Random #27

 घर हूँ इसलिए है उसके लौट आने की उम्मीद

दूर होकर भी वही फिर पास आने की उम्मीद

सब खोकर भी खड़ा है कोई पेड़ गर हू-ब-हू

होगी ही फिर नए पते पनप आने की उम्मीद

परिंदे को है तिनके की, जिस शिद्दत से तलाश

उसको भी तो होगी फिर आशियाने की उम्मीद

एक आवाज़, जो जंगलों को चीरकर आती रही

बेबसी में भी मौजूद थी जीत जाने की उम्मीद

उसके टूटने से ये जो टूट गए हैं लोग सब

ढो रहा था अपने सर, सारे ज़माने की उम्मीद 

Monday 11 December 2023

Random #26

उसकी बेबाक हँसी और तकती हुई आँखे मेरी

मायूस हो जाये तो फिर रुक जाये सांसे मेरी

बिखेर दे जुल्फें तो फिर शामो-सहर बहार चले

रौशन सी फिज़ा और सदा रौशन रही रातें मेरी  

सुर्ख होठों की नज़ाकत से यूँ मदहोश शमा.....

उससे मिलने की तलब और बेचैन निगाहें मेरी

चूम ले जख्मों को तो फिर मरहम क्या है ?

उसकी नाज़ुक बाँहों को थामे हुई बाहें मेरी

उसकी तारीफ़ में लिखा हुआ हर हर्फ़ है पाकीज़ा

ग़ज़ल क्या है...उससे जुड़ी हुई सब यादें मेरी 

Random#29

 स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई  हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई  मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे  कि होता नहीं अब किसी से...