अगर अब मैं आइना देखूँ
तो मुझे क्या दिखाई देगा?
कैद पड़े अश्कों को
इन आखों से कौन रिहाई देगा?
यह जो मैं चीख रहा हूँ
क्या वह दूर तक कहीं सुनाई देगा?
क्या मेरा ज़मीर मेरे बेगुनाह होने की
साफ लहजों में गवाही देगा?
अगर अब मैं आइना देखूँ
तो मुझे क्या दिखाई देगा?
कैद पड़े अश्कों को
इन आखों से कौन रिहाई देगा?
यह जो मैं चीख रहा हूँ
क्या वह दूर तक कहीं सुनाई देगा?
क्या मेरा ज़मीर मेरे बेगुनाह होने की
साफ लहजों में गवाही देगा?
स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे कि होता नहीं अब किसी से...