जब भी हम बैठे तन्हां बस तेरी याद आयी
नींद से यूँ चौंक उठ बैठे...तेरी याद आयी
किसी ने आवाज़ दी तो... तेरी याद आयी
कोई हमें देख मुस्कराया...तेरी याद आयी
कंधे पे रख दिया हाथ तो तेरी याद आयी
आईने में खुद को देखा तो तेरी याद आयी
नाम सुना तेरे शहर का तो तेरी याद आयी
खिड़की से किसी ने झाँका तेरी याद आयी
सहर से शाम का वक्त हमने यूँ बिताया
तू याद आयी... और बहुत ही याद आयी
No comments:
Post a Comment