एक लड़की है जिसके रूठ जाने से जीवन खाली सा लगता है
सब लगता है बिखरा हुआ, वक़्त भारी सा लगता है
याद आता है उसका चेहरा, उसकी आँखें , उसकी बातें
कटता नहीं दिन काटने से, गुजरती ही नहीं रातें
सोचता हूँ उसके गुस्से को कैसे शान्त कर पाउँगा
सोचता हूँ कुछ भी करके आज उसे मनाऊँगा
वह जो बोलेगी हर बात उसकी मान लूँगा मैं
हद से गुजर जाना है यह भी ठान लूँगा मैं
जो भी हो वह मेरी है मुझे इतना नहीं सताएगी
जब सामने आ जाऊँगा मैं वह गले आ लग जाएगी
थोड़ा रोएगी, मारेगी मुझे फिर गले आ लग जाएगी
कितना प्यार करती है मुझे, फिर मुझे बताएगी
उसको अपनी बाँहों में भर माथें को चुम लूँगा मैं
उसकी बाँहों में बँधकर आकाश झूम लूँगा मैं
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