Thursday 28 July 2022

Random#15

 ये फ़ासला जो हमारे दरम्यां रह गया है

छलक आये हैं आंसू पैमाना भर गया है

सिर्फ वक़्त है जो मुसल्सल चल रहा है 

मैं ठहर गया हूँ और तू भी ठहर गया है 

एक परिंदा ऊँचा उड़ने की ख़्वाहिश में 

अपना घर छोड़ किसी दूसरे शहर गया है  

सब कहते थे जिस शख़्स को पत्थर का 

वह पत्थर आज टूट के बिखर गया है

कभी चलता था जज्बातों का सिलसिला

अब लब खामोश हैं, अल्फ़ाज़ मर गया है  

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Random#29

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