Thursday 28 May 2015

नई शुरुआत

आंसू गिराये होंगे कई आँखों से हमने
पर हमारा ये इरादा कतई नहीं था
चलो मान लिया सारा कसूर था मेरा
पर मैं दोस्त था तुम्हारा,मुद्दई नहीं था

कि तुम हर बात को बखूबी समझ जाते हो
सोचता हूँ अब कि वो भरम था मेरा
इतने एहसान है कि आँखे नहीं मिलती तुमसे
वरना इन आँखों में तुम भी तो अश्क़ लाते हो

चलो एक नए रिश्ते कि शुरुआत करते हैं
चलते है दो कदम साथ में और चार बात करते हैं
मुमकिन है कि फ़ासले दरम्यान कुछ कम हो जाएँ
तुम और मैं मिलकर सायद हम हों जाएँ  

Tuesday 5 May 2015

चंद लफ़्ज

"दर्द की हद थी शायद वो,कि
एक झटके में सारा डर जाता रहा
वो मेरी जान लेकर जाते रहे
और मैं यूँ ही खड़ा मुस्कराता रहा"

"मुझपे मेरा गाँव छोड़ आने का इल्जाम न दो
मैं अब भी सपने में मिट्टी के महल बनाता हूँ
कभी आंसू ,कभी मुस्कान ,कभी वो किये हुए वादे
खोकर सपने में कहीं,मैं हकीकत भूल जाता हूँ"

"रिश्ते भी महँगे हो गए हैं,बाजार में कीमत की तरह
टूटने का डर बना रहता है हर वक्त , मिट्टी के दीपक की तरह
फ़ासले बढ़ गए हैं दिलों के दरम्यान कुछ इस कदर
जैसे हम सुलग रहे हों, और हर कोई मौजूद है मगर पावक की तरह"


"मैं कैसे ये कह दूँ तुम्हारी चाहत नही है
मुझे उस खुदI की इजाजत नही है
डांट दो बस एक बार यही समझकर
मैं बच्चा हूँ अब भी, सरारत नई है"

"खोकर रोज नींद अपनी तुम्हे चैन से सोने दिया
पोंछे हर आँशु गिरने से पहले,कभी रोने न दिया
और तुमने उनके प्यार का क्या खूब सिला दिया
अपने दोस्तों से तूने,उन्हें घर का नौकर बता दिया"

"चाँद की भी कभी ऐसी हालत हो जाती है
अमावस हो तो चाँदनी चली जाती है
सियासत का भी खेल कुछ ऐसा ही है दोस्तों
हद गुजर जाये तो बगावत चली आती है"

"झोपड़ियां खाली करो,महल बनानी है;उनका फ़रमान आया है "
हम तो चार पैसे न दे पर फिर भी चलो;दरम्यान ईमान आया है" 
इस बदहाली में भी हँस पड़ता हूँ उनके इस ""गंभीर"" रवैये पर 
फिर सर झुकाता हूँ सोचकर, चलो भगवान न सही शैतान आया है"

Random#29

 स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई  हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई  मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे  कि होता नहीं अब किसी से...