Saturday 28 August 2021

Random#11

अब ये प्यार, ये दर्द मुझसे दुबारा नहीं होगा 

हो गया भी गर तो सारा का सारा नहीं होगा 


तू बुला रहा था तो ले आ गया हूँ मैं तेरे पास 

बस इसलिए कि तेरा कोई सहारा नहीं होगा


मैं तुझसे बात भी कर लूँ तो अब वो बात नहीं 

मैं झूठ बोलूंगा और तुझे वो गवारा नहीं होगा


मैं आया हूँ पर लौट जाने की तैयारी के साथ 

पता है...तेरी तरफ से कोई इशारा नहीं होगा 


ये सब झूठ है जो अब तक कह रहा था मैं 

मैं तो कब्र से लौट आऊं तूने पुकारा नहीं होगा  

Sunday 15 August 2021

Random#10

ये किसकी तासीर पड़ गई मुझपे, तराना किसका गुनगुनाता हूँ 

ये कौन है मेरी कहानी में.......किसकी इबादत के गीत गाता हूँ 

Wednesday 11 August 2021

Random#9

अगर तू ख्वाब है तो ये रात यूँ ही रहने दे 

तू जा रहा है..जा..अपनी याद यूँ ही रहने दे 


मेरा तुझ पे इख़्तियार यूँ तो कुछ भी नहीं 

जो कुछ भी है मगर बात..बात यूँ ही रहने दे 


तेरी नवाज़िश का शौक अब मैं नहीं रखता 

गर बच गया हो लिहाज़..लिहाज़ यूँ ही रहने दे 


अब वो उल्फ़त वो अहद-ए-वफ़ा ना रही 

बच गया है जो दिल-ए-नाशाद..यूँ ही रहने दे 


तेरी क़ुर्बत में कहीं मैंने खो दिया खुद को 

तेरा तबस्सुम है मुझे याद..याद यूँ ही रहने दे 

Friday 9 July 2021

गर बोलूँ तो रुस्वाई है

 टूट रहे हैं शाख से पत्ते, चल रही हवा पुरवाई है 

न बोलूँ  तो जुर्म है मेरा, गर बोलूँ तो रुस्वाई है 


बड़े दिनों की याद फिर लौट के वापस आई है

सोच रहा..है ये सपना, हकीकत है, परछाई है ?


होने को है क़यामत जैसे ले रहा वक्त अंगड़ाई है 

ऐसे मिलना भी क्या मिलना इससे अच्छी तो जुदाई है 


हँसना रोना सभी मना है, कैसी किस्मत पाई है?

जिस रूह से भाग रहा वो मुझमे ही सिमट आयी है 


भींग रही है धरती सारी......काली बदरी छाई है

बैठा हूँ महफ़िल में लेकिन सारी दुनिया की तन्हाई है 

Thursday 1 July 2021

Random#8

अपने तस्सवुर में तुझे छू आने का सफ़र

कैसा दिलकश था तुझे पा जाने का सफ़र  


इससे पहले कि लोग हिज्र के किस्से कहे 

तय कर लेने दे वस्ल की राहत का सफ़र


न रोक मुझे लिख लेने दे किस्सा-ए-दिल 

अब ख़त्म होने को है मेरी चाहत का सफ़र 


मैं चाहता हूँ इन रास्तों पे कुछ निशान रहें

हो जाएँ आसां आते जाते राहगीरों का सफ़र


कोई पूछ रहा है कीमत इस नादानी का 

मैं कहता हूँ अच्छा रहा जैसा भी था सफ़र    



Sunday 16 May 2021

Random#5

 ये फ़ासलां जो हमारे दरम्यान रह गया है 

छलक आये है आँशु, पैमाना भर गया है 


सिर्फ वक्त है जो मुसलसल चल रहा है 

मैं ठहर गया हूँ, और तू भी ठहर गया है 

Tuesday 20 April 2021

Random#4

 ज़िन्दगी यूँ गुजर रही है


जैसे आइना फर्श पे बिखर रहा हो

लहूँ अश्क बनकर उतर रहा हो


परिंदा पिंजड़े में मचल रहा हो 

जंगल खुद अपनी आग में जल रहा हो 


बेवक्त मौसम बदल रहा हो 

कोई काटों पर जैसे चल रहा हो 


कोई गिर रहा हो और संभल रहा हो 

रात उजाले को निगल रहा हो 


रेत हाथों से फिसल रही हो 

बर्फ सर्दियों में पिघल रही हो 


ज़िन्दगी यूँ गुजर रही है 

जैसे वो ज़िन्दगी न होकर ग़ज़ल रही हो 

Thursday 4 March 2021

Random#3

अगर अब मैं आइना देखूँ 

तो मुझे क्या दिखाई देगा?


कैद पड़े अश्कों को

इन आखों से कौन रिहाई देगा? 


यह जो मैं चीख रहा हूँ 

क्या वह दूर तक कहीं सुनाई देगा?


क्या मेरा ज़मीर मेरे बेगुनाह होने की

साफ लहजों में गवाही देगा?


Random#29

 स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई  हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई  मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे  कि होता नहीं अब किसी से...