खुश हूँ कि मुझे कोई जानता नहीं है
खुद से भी ज्यादा मुझे मानता नहीं है
दुःख इस बात का भी नहीं कि मेरी उपलब्धियाँ नहीं हैं
न ही इस बात का कि मेरी जिंदगी में मस्तियाँ नहीं हैं
खुश हूँ की लोग आजकल मेरा नाम तो लेते हैं
मेरी तरह न बनाने का पैगाम तो देते हैं
इस साँझ की चादर ने मेरे ग़मों को ढक लिया है
भोर तो होनी ही है इस बात का इशारा भी किया है
खुद पे एक दिन फक्र होगा इस बात का विश्वास भी है
माफ़ कर देंगे मुझे लोग ऐसी एक आस भी है