Sunday 24 August 2014

विश्वाश


खुश हूँ कि मुझे कोई जानता नहीं  है

खुद से भी ज्यादा मुझे मानता नहीं है

दुःख इस बात का भी नहीं कि मेरी उपलब्धियाँ नहीं हैं

न ही इस बात का कि मेरी जिंदगी में मस्तियाँ नहीं हैं

खुश हूँ की लोग आजकल मेरा नाम तो लेते हैं

मेरी तरह न बनाने का पैगाम तो देते हैं

इस साँझ की चादर ने मेरे ग़मों को ढक लिया है

भोर तो होनी ही है इस बात का इशारा भी  किया है

खुद पे एक दिन फक्र होगा इस बात का विश्वास भी है

माफ़ कर देंगे मुझे लोग ऐसी एक आस भी है

Saturday 23 August 2014

वो बेवफा नहीं

वो मुझसे कुछ खफा खफा है

पर ऐसा नहीं कि वो बेवफा है

उसका मुझे वापिस मुड़के देखना इस बात का सबूत है

उसके दिल में आज भी मेरा वजूद है

उसके जाने के बाद रिश्ता और भी गहरा हो गया है

दिल मेरी भी नहीं सुनता शायद ये बहरा हो गया है

ये दिल के रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं

जो इसे कायम रख पाते है वो बड़े खुशनसीब होते हैं

मै ऐसा न बन सका बड़ा परेशान सा हूँ 

लेकिन वो तो कहती थी मै बड़ा नादाँ सा हूँ 

मै क्या हूँ  ये बताने के लिए आज वो नहीं है

इसलिए मै फैसले नहीं ले पाता कि क्या गलत है और क्या सही है

Random#29

 स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई  हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई  मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे  कि होता नहीं अब किसी से...