ये फ़ासलां जो हमारे दरम्यान रह गया है
छलक आये है आँशु, पैमाना भर गया है
सिर्फ वक्त है जो मुसलसल चल रहा है
मैं ठहर गया हूँ, और तू भी ठहर गया है
स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे कि होता नहीं अब किसी से...
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