ये इतफ़ाक था कि होता हुआ हादसा टल गया
वरना सूरज पागल न था ,जो शाम से पहले ढल गया
उसने कसम खाई थी इंतजार की रात तक
रात जल्दी हुई और उसका दिल बदल गया
उसने सोचा था कि शायद यह आखिरी दिन है
उसने आग लगाई और पिछला पूरा किस्सा जल गया
हालाँकि ये देखकर कदम लड़खड़ाये थे उसके
हाँ ये इतेफाक ही था कि वो फिर खुद ही संभल गया
फिर कुछ न याद रहा उसे फ़साना अतीत का
एक जूनून बस आगे बढ़ने का,जीत का
जिसकी उम्मीद न थी किसी को वो कुछ ऐसा कर गया
ये इतफ़ाक था कि होता हुआ हादसा टल गया
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