जब कभी हम तेरे शहर आए
अश्क़ आँखों में उतर आए
लौट के यूँ तेरी याद आयी
जैसे शाम के बाद सहर आए
तेरी खुशबू ने यूँ छुआ मुझको
फूल हवाओं में बिखर आए
ये गलियाँ यूँ बुलाती हैं मुझे
जैसे लौट के कोई घर आए
निगाहें फिरती रहती हैं दर-बदर
तू कहीं दूर से नजर आए
स्याह रात को रोशन करता हुआ जुगनू कोई हो बारिश की बुँदे या हिना की खुशबू कोई मशरूफ़ हैं सभी ज़िन्दगी के सफर में ऐसे कि होता नहीं अब किसी से...
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