वो सवाल, जो है मेरी ज़िन्दगी का सवाल
सब पाकर भी रह गया तिश्नगी का सवाल
एक फूल जिसे जुदा कर दिया गुलशन से
हर वक्त पूछता रहता है ताज़गी का सवाल
जिस सवाल का कोई जवाब था ही नहीं
वो सवाल भी क्या, सिर्फ़ सादगी का सवाल
कभी गर मिलेगा ख़ुदा तो फिर पूछूंगा मैं
कोई जवाब है भी या फिर बंदगी का सवाल
जिसके सुपुर्द कर रखी थी ये दुनिया मैंने
उसके लिया मैं था सिर्फ़ दिल्लगी का सवाल
सब्र करते हुए ये उम्र गुजर जाएगी यूँ ही
चुप रहना आखिर है तो संजीदगी का सवाल
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